Sadguru Bina Kisiko Sadgyan Kab Mila Hai Bhakti Song Lyrics In Hindi PDF | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

Sadguru Bina Kisiko Sadgyan Kab Mila Hai Bhakti Song | सद्गुरु बिना किसीको सद्ज्ञान कब मिला है भक्ति संगीत | Gyansagar ( ज्ञानसागर )


सद्गुरु बिना किसीको सद्ज्ञान कब मिला है भक्ति संगीत

सद्गुरु बिना किसी को, सद्ज्ञान कब मिला है।
गुरु से ही शिष्य मन का, श्रद्धा सुमन खिला है।।

]गुरु कल्पवृक्ष भी है, अमृत भी और पारस।
शुभ शक्ति स्रोत गुरु है, गुरु ही परम सुधा रस।।
गुरु से ही इस जगत को, अध्यात्म बल मिला है।।

गुरु पारब्रह्म ईश्वर, गुरु ही परम पिता है।
गुरु ही परम हितैषी, जगतवन्द्य अर्चिता है।।
इस भक्ति-भाव का पथ, गुरु से हमें मिला है।।

उपकार यह प्रभु का, गुरु बन समीप आये।
अपनी शरण लगाया, तन-मन में है समाये।।
गुरु के स्वरूप में बस, भगवान ही मिला है।।

सद्ग्रन्थ हर गुरु के, गरिमा के गीत गाते।
शिष्यों के उर में श्रद्धा, विश्वास हैं जगाते।।
गुरु से ही साधना का, संकल्प बल मिला है।।

मुक्तक :-

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु है, गुरु शिव रूप उदार।
परब्रह्म साक्षात गुरु, नमन उन्हें शत बार।।



सिंह लग्नफल







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