।।अथ इंद्रकृत महालक्ष्मी अष्टकम ( महालक्ष्मी स्तोत्रम् )।।
नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शङ्खचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।१।।
नमस्ते गरुडारूढे कोलासुरभयङ्करि।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।२।।
मैं महामाया कही जाने वाली देवी महालक्ष्मी को प्रणाम करता हूँ, श्री पीठ में देवता जिनकी पूजा करते हैं। जिनके हाथ में शंख, चक्र और गदा शोभित है उन महालक्ष्मी (देवी) को नमस्कार है।
उन देवी को नमस्कार है जो गरुड़ पर आरूढ़ होती हैं और कोलासुर के लिए जो भयंकर प्रतीत होती हैं। सभी पापों को हरने वाली महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है।
सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्वदुष्टभयङ्करि।
सर्वदुःखहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।३।।s
सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भक्तिमुक्तिप्रदायिनी।
मन्त्रमूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।४।।
जो सबकुछ जानती है और जो सभी वरदान देने वाली है, जो सभी दुखों को हर लेतीं हैं उन महालक्ष्मी को नमस्कार है।
सभी प्रकार की सिद्धि और बुद्धि प्रदान करने वाली तथा मोक्ष प्रदान करने वाली देवी जो सदैव मन्त्र के सूक्ष्म रूप में विद्यमान रहती हैं, उन महालक्ष्मी को मैं नमस्कार करता हूँ।
आद्यन्तरहिते देवि आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।५।।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे महाशक्ति महोदरे।
महापापहरे देवि महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।६।।
वे जो आदि और अंत से रहित हैं और जो आदिशक्ति हैं उन योग से जन्मीं और योग से जुड़ीं महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है। जो स्थूल और सूक्ष्म दोनों रूपों में विद्यमान हैं, जो रुद्राणी देवी का भयंकर रूप हैं। जो महाशक्ति के उदर (womb) में स्थित हैं उन महापाप को हरने वाली महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है।
पद्मासनस्थिते देवि परब्रम्हस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।७।।
श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कारभूषिते।
जगत्स्थिते जगन्मातर्महालक्ष्मि नमोस्तुते ।।८।।
जो कमल के आसान पर विराजमान हैं और जो परब्रम्ह का स्वरुप हैं उन महादेवी सम्पूर्ण जगत की माता महालक्ष्मी को नमस्कार है।
जिन्होंने सफ़ेद वस्त्र पहने हुए हैं और जो अनेको आभूषणों से सुशोभित हैं उन (संसार में निहित) महालक्ष्मी देवी को नमस्कार है।
फलश्रुति: -
महालक्ष्म्यष्टकम् स्तोत्रं यः पठेद्भक्तिमान्नरः।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ।।
एककाले पठेन्नित्यं महापापविनाशनम्।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धनधान्यसमन्वितः।।
जो पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ महालक्ष्मी स्तोत्र को पढ़ता है वह सभी सिद्धियों और समृद्धि को प्राप्त करता है।
प्रतिदिन एक बार पाठ करने वाले के महान पापों का भी नाश हो जाता है। दो बार पढ़ने वाले को धनधान्य की प्राप्ति होती है।
त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मिर्भवेन्नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ।।
तीन बार इस स्तोत्र को पढ़ने वाले के शत्रुओं का नाश हो जाता है और महालष्मी सदैव उससे प्रसन्न होतीं है।
।। इति श्री महालक्ष्मी अष्टकम सम्पूर्णम।।
Shree Mahalaxmi Ashtkam Lyrics In Hinglish
Namastestu Mahamaye
Shree Pithe Sura Poojite
Shanka Chakra Gadha Haste
Maha Lakshmi Namoostute
Namastestu Garudarudhe
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