एक सामाजिक चिंतन - भारतीय जनमानस में दिखावा का प्रचलन अधिक बढ़ गया है ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )

एक सामाजिक चिंतन -  भारतीय जनमानस में दिखावा का प्रचलन अधिक बढ़ गया है ! | Gyansagar ( ज्ञानसागर )


भारतीय जनमानस में दिखावा का प्रचलन बढ़ गया है ! इसके काफी उदाहरण शायद आप विषय को पढ़ने से पहले सोच लिए होंगे लेकिन मै आपको वो बातें बताऊंगा जो आपको सोचने पर मजबूर जरुर कर सकती है !! भारत गरीब देश नही है बल्कि उसे अमीरी और पश्चिमी देशो की नकल के लिए विवश किया जाता है !! चलिए पढ़ते है कैसे !!

जब से इंटरनेट और कंप्यूटर का आम घरो में प्रवेश हुआ है , एकाएक से विकास की रफ्तार दिन दोगुनी रात चौगुनी हो गयी है लेकिन उसके साथ ही आम जन में मक्कारी,आलस्य और अमीरीपन की झूठी शान और भेड़चाल भी बढ़ना शुरू हो गया है !! शुरुआत कुछ आर्थिक मामलो से करते है जो जीवन जीने के लिए काफी जरूरी है !
ये सच है कि बढ़ती तकनीकी साधनों के साथ रोजगार के साधन बढ़े है लेकिन इसके साथ ही मन को अनेक विषयों पर भटकाने वाले तत्व भी बढ़े है जिसका जिक्र शायद किसी ने न किया हो !! और यही कारण है कि आम आदमी य कोई व्यक्ति शहरी य दिखावटी चीजो से प्रभावित होकर भौतिक साधनों को जुटाने का मात्र प्रयत्न करता है , हुनर बढ़ाने का नहीं !!

आज कई ऐसे परिवार मिल जायेंगे जो दीन हीन जैसे स्थिति में होते है फिर भी उनके मोबाइल में इंटरनेट जरुर होगा , टीवी रिचार्ज जरुर होगा और व्यर्थ में जाने के लिए बाईक में पेट्रोल जरुर होगा या पार्टी करने के लिए य नॉन वेज खाने के लिए पर्याप्त धन जरुर होगा पर अपने स्थिति को उंचा करने के लिए , अपने परिवार के रहन सहन और जीवन जीने के तरीके को उंचा करने के लिए कभी नही सोचेंगे !!

आर्थिक बोझ के कारण जो आज हो गये है वो ये है कि आज अनावश्यक चीजो का उपभोग काफी बढ़ गया है और इसमें मध्यम और निचले वर्ग के लोग भी शामिल है ! चाहे पहनावा हो या रोजमर्रा की चीजे ! सिर्फ पड़ोस य स्टेट्स वाली भावना से ग्रसित होकर आज समाज इस गंदे बीमारी से पीड़ित हो गया है और इससे समाज का जो संतुलन है वो हिल सा गया है !! इसका समाधान ये हो सकता है कि हम जरूरी चीजो का उपभोग केवल करे और यदि हमारे सम्बन्ध य पड़ोस में आर्थिक रूप से हमसे आगे य पीछे है तो उससे इर्ष्या य अहं न रखे क्योंकि ये ही भावना लोगो में एक प्रतिस्पर्धा की भावना जन्म देती है ! प्रतिस्पर्धा धन संचय न होकर व्यक्तित्व विकास के साथ सामाजिक विकास और ज्ञान संचय कर सामाजिक और अध्यात्मिक दृष्टि से उसका उपयोग करने में होना चाहिए !! 

इस दिखावे के कारण ही आज कई शहरों में किराये के मकान में आप वो महंगी चीजे भी देखेंगे जो फिल्म य सीरियल में देखा करते थे और बस उसी के कारण लोगो ने स्टेट्स सिम्बल के रूप में उसे अपनाना शुरू कर दिया ! खैर बीते lockdown और कोरोना के प्रभाव से काफी हद तक आयुर्वेद और भारतीय संस्कृति के महिमा और उसकी महानता के बार में लोगो को विश्वास हो गया है !! और जल्द ही उतनी ही तेजी से ये दिखावा दिखाने का प्रचलन भी खत्म होगा !! जिस तरह कोरोना काल में एक राष्ट्रीय आपदा के कारण सभी ने सीमित साधनों में गुजारा करना सीखा उसी तरह अब पहले की भांति भारतीय जनता कम खर्चो में उत्तम जीवन शैली जीने के तरीके को फिर से जरुर अपनाएगी !! ये न केवल मेरा विश्वास है बल्कि पिछले कोरोना काल के अनुभव और आज जो समाज में लोगो के मन में आधुनिक जीवन शैली पद्धति के बारे में जो अविश्वास पैदा हुआ है शायद यही भारत को फिर से उसकी महिमा और भारतीयता को भारत की जनता में पहुँचाने और उसकी महिमा सब तक बताने में एक महत्वपूर्ण कड़ी का काम करेगा !

सिंह लग्नफल



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