हम और आप व्यस्तम जीवन में इतने व्यस्त हो चुके है कि समाज की बुराइयों को ये कहकर नजरंदाज कर देते है कि छोड़ो हमे क्या ! इनका रोज का काम है ! कीचड़ पर पत्थर मारने से छींटे हमे ही पड़ते है और न जाने कितने कारण और वजह तुरंत खोज लेते है ऐसे सामाजिक जिम्मेदारी से बचने के लिए पर कभी कभी मन,हृदय व् मस्तिष्क इन सब कारणों को छोड़ अपने ईमान की सुनता है और फिर लोक-लज्जा और समाज की,खुद की चिंता किये बिना वो करता है जो प्रत्येक जिम्मेदार नागरिक को करना चाहिए !! मेरा रोज य यूँ कहे जब जब मुझे ऑफिस से काम करने की आवश्यकता पड़ती है तब तब मै अपने घर सेक्टर 22 से सेक्टर 10 पैदल ही निकल लेता हूँ और रोज पीपल के पेड़ के बगल में सेक्टर १२ नॉएडा में राजकीय इंटर कॉलेज के बच्चो का शोरगुल सुनता हुआ निकलता हूँ ! कभी कभी बच्चो के उद्दंडता के नजारे भी देखने को मिलते है लेकिन अपने निजी व्यस्तम दिनचर्या को देखकर इन सब से किनारा कर लेता हूँ पर आज हद हो गया जब एक 15-16 की उम्र वाला बच्चा उसी स्कूल के बाहर खड़े रेड़ी वाली आंटी से कमला पसंद और न जाने कौन सा गुटखा ले रहा था ! मन ने मना किया पर फिर हाँ किया फिर मना किया फिर हाँ किया और फिर मै उस तरफ लपका !
क्योंकि मुझे मालूम है बेचने वालो का बुध और खरीदने वालो का बुध कमजोर है इसीलिए जो चीज सबसे गलत लगी उसपर ही हमला य उसका समाधान करना मेरी प्राथमिकता थी ! रेड़ी हटवाकर मै आंटी का धंधा य रोजमर्रा के खर्चे न निकलने के पाप से मै पीड़ित नही होंना चाहता था इसीलिए बार बार इस बात को दोहराया कि ऐसे नशीली वस्तुए य पदार्थ बच्चो को बिलकुल न बेचीं जाये ! जुर्म अलग है और पाप तो है ही ! तमाम बातों व् शुभकामनाओं के साथ सिंघम स्टाइल में दोनों पुलिस वाले भैय्या ने मुझे धन्यवाद किया और मैंने उन्हें फिर कहा आपके साथ फोटो ले लू ताकि लोगो को प्रेरित कर सकू कि अपने अधिकार का प्रयोग करे ! अन्याय कहीं पर हो तो आवाज उठाइए ! चुप रहेंगे तो पाप बढ़ेगा और कल आपके साथ भी य आपके नजदीकी के साथ भी ये सब हो सकता है !
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