नाम - कुशमा गोसाईं.., 10 साल का बेटा - रामू गोसाईं..,चारों थैलों का वजन 105 किलो.. आज दोपहर करीब 3:00 बजे जब मैं "गुलधर" रेलवे स्टेशन पर उतरा तो सहसा कानों में एक आवाज सुनाई दी--"भैया ई थैला उठवा दीजिए तो "। पीछे मुड़कर देखा तो लगभग 30 साल की एक महिला खड़ी थी , मैंने चुपचाप अपना बैग पीठ पर लटकाया और एक हाथ से थैला उठाने लगा , मुश्किल से एक फीट तक उठा पाया तो तभी दूसरे हाथ का सहारा लेना पड़ा | पर हैरान था जब वो महिला उस थैले को अपने बाएं हाथ पर आसानी से लटकाकर आगे बढ़ गई , चलते चलते ध्यान पड़ा तो देखा 30 किलो का डब्बा सिर पर रखे रामू गोसाई के पैरों में चप्पले तक नहीं थी.....
मेरा प्रत्येक क्षण नि:शब्द रह गया ...मैं स्तब्ध खड़ा था और दोनों मां बेटे अपनी अगली मंजिल को बढ़ चले.. एक प्रश्न है मेरा समाज के बुद्धिजीवी वर्ग से , यें दोनों माता पुत्र ब्राह्मण जाति से हैं...
मुझे उत्तर दीजिए आरक्षण का असली हकदार कौन ?? और आपसे निवेदन है अगर आपके पास उत्तर नहीं तो इसे आगे बढ़ाकर किसी और से जरूर पूछना
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