। । दोहा । ।
श्री भैरव संकट हरन , मंगल करन कृपालु ।
करहु दया निज दास पे , निशिदिन दीनदयालु ।
। । चौपाई । ।
जय डमरूधर नयन विशाला , श्याम वर्ण , वपु महा कराला ।
जय त्रिशूलधर जय डमरूधर , काशी कोतवाल , संकटहर ।
जय गिरिजासुत परमकृपाला , संकटहरण , हरहु भ्रमजाला ।
जयति बटुक भैरव भयहारी , जयति काल भैरव बलधारी ।
अष्टरूप तुम्हरे सब गायें , सकल एक ते एक सिवाये ।
शिवस्वरूप शिव के अनुगामी , गणाधीश तुम सबके स्वामी ।
जटाजूट पर मुकुट सुहावै , भालचन्द्र अति शोभा पावै ।
कटि करधनी घुंघुरू बाजें , दर्शन करत सकल भय भाजै । ।
कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर , मोरपंख को चंवर मनोहर । ।
खप्पर खड्ग लिए बलवाना , रूप चतुर्भुज नाथ बखाना ।
वाहन श्वान सदा सुखरासी , तुम अनन्त प्रभु तुम अविनासी ।
जय जय जय भैरव भय भंजन , जय कृपालु भक्तन मनरंजन ।
नयन विशाल लाल अति भारी , रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी । ।
बं बं बं बोलत दिनराती , शिव कहँ भजहु असुर आराती ।
एकरूप तुम शम्भु कहाये , दूजे भैरव रूप बनाये ।
सेवक तुमहिं तुमहिं प्रभु स्वामी , सब जग के तुम अन्तर्यामी ।
रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा , श्यामवर्ण कहुँ होइ प्रचारा ।
श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी , तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी ।
तीनि नयन प्रभु परम सुहावहिं , सुरनर मुनि सब ध्यान लगावहिं ।
व्याघ्र चर्मधर तुम जग स्वामी , प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी ।
चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा , निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा । ।
क्रोधवत्स भूतेश कालधर , चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर ।
अहहिं कोटि प्रभु नाम तुम्हारे , जपत सदा मेटत दुःख भारे ।
चौसठ योगिनी नाचहिं संगा , क्रोधवान तुम अति रणरंगा ।
भूतनाथ तुम परम पुनीता , तुम भविष्य तुम अहहु अतीता ।
वर्तमान तुम्हरो शुचि रूपा , कालजयी तुम परम अनूपा ।
ऐलादी को संकट टायो , साद भक्त को कारज सार्यो ।
कालीपुत्र कहावहु नाथा , तव चरणन नावहुं नित माथा ।
श्रीक्रोधेश कृपा विस्तार , दीन जानि मोहि पार उतारहु ।
भवसागर बृढ़त दिनराती , होहु कृपालु दुष्ट आराती ।
सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै , मोहिं भगति अपनी अब दीजै ।
करहुँ सदा भैरव की सेवा , तुम समान दूजो को देवा ।
अश्वनाथ तुम परम मनोहर , दुष्टन कहँ प्रभु अहछु भयंकर । ।
तुम्हरा दास जहाँ जो होई , ताकहूँ संकट पर न कोई । ।
हरहु नाथ तुम जन की पीरा , तुम समान प्रभु को बलवीरा । ।
सत्र अपराध मा करि दीजै , दीन जानि आपुन माहि काज ।
जो यह पाठ कर चालीसा , ताप कृपा करहु जगदीशा । ।
। । दोहा । ।
जय भैरव जय भूतपति जय जय जय सुखकन्द ।
करहु कृपा नित दास पे , देहु सदा आनन्द । ।
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