श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान ।
बालाजी चालीसा लिखे दास स्नेही कल्याण । ।
विश्व विदित वरदानी संकट हरण हनुमान ।
मैंहदीपुर में प्रगट भये बालाजी भगवान । ।
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा , प्रगट भये यहां तीनों देवा ।
प्रेतराज भैरव बलवाना , कोतवाल कप्तानी हनुमाना ।
मैंहदीपुर अवतार लिया है , भक्तों का उद्धार किया है ।
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर , संकट वाले आते जहाँ पर ।
डाकनि शाकनि अरु जिन्दनीं , मशान चुड़ैल भूत भूतनी । ।
जाके भय ते सब भग जाते , स्याने भोपे यहाँ घबराते ।
चौकी बन्धन सब कट जाते , दूत मिले आनन्द मनाते ।।
सच्चा है दरबार तिहारा , शरण पड़े सुख पावे भारा ।
रूप तेज वल अतुलित धामा , सन्मुख जिनके सिय रामा ।
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा , सबकी होवत पूर्ण आशा ।।
महन्त गणेशपुरी गुणीले , भये सुसेवक राम रंगीले ।
अद्भुत कला दिखाई कंसी , कलयुग ज्योति जलाई जैसी ।
ऊँची ध्वजा पताका नभ में , स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में ।
धर्म सत्य का डंका बाजे , सियाराम जय शंकर राजे ।
आन फिराया मुगदर घोटा , भूत जिन्द पर पड़ते सोटा ।
राम लक्ष्मन सिय हृदय कल्याणा , बाल रूप प्रगटे हनुमाना ।
जय हनुमन्त हठीले देवा , पुरी परिवार करते हैं सेवा ।
लड़ चूरमा मिश्री मेवा , अर्जी दरखास्त लगाऊ देवा ।।
दया करे सब विधि बालाजी , संकट हरण प्रगटे बालाजी ।
जय बाबा की जन जन उच्चारे , कोटिक जन तेरे आये द्वारे ।
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा , तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा । ।
देवन विनती की अति भारी , छाँड़ दियो रवि कष्ट निहारी ।
लांघि उदधि सिया सुधि लाये , लक्ष्मन हित संजीवन लाये ।
रामानुज प्राण दिवाकर , शंकर सुवन माँ अंजनी चाकर ।
केशरी नन्दन दुःख भव भंजन , रामानन्द सदा सुख सन्दन । ।
सिया राम के प्राण पियारे , जब बाबा की भक्त उचारे ।
संकट दुःख भंजन भगवाना , दया करहु हे कृपा निधाना ।
सुमर बाल रूप कल्याणा , करे मनोरथ पूर्ण कामा ।
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी , भक्त जन आवें बहु भारी ।
मेवा अरू मिष्ठान प्रवीना , भेंट चढ़ावें धनि अरु दीना ।
नृत्य करे नित न्यारे ,रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे । ।
अर्जी का आदेश मिलते ही , भैरव भूत पकड़ते तब ही ।
कोतवाल कप्तान कृपाणी , प्रेतराज संकट कल्याणी ।
चौकी बन्धन कटते भाई , जो जन करते हैं सेवकाई ।
रामदास बाल भगवन्ता , मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता ।
जो जन बालाजी में आते , जन्म जन्म के पाप नशाते ।
जल पावन लेकर घर जाते , निर्मल हो आनन्द मनाते ।
क्रूर कठिन संकट भग जावे , सत्य धर्म पथ राह दिखावे ।
जो सत पाठ करे चालीसा , तापर प्रसन्न होय बागीसा ।
कल्याण स्नेही , स्नेह से गावे , सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे । ।
॥ दोहा ॥
मन्द बुद्धि मम जानके , क्षमा करो गुणखान । ।
संकट मोचन क्षमहु मम , दास स्नेही कल्याण ॥
संकट मोचन क्षमहु मम , दास स्नेही कल्याण ॥
Post a Comment