शेर ने एक दिन सभी जानवरों को बुलाकर कहा कि तुम जाकर सभी जानवरों में से एक को राजा चुन लो जो जंगल की व्यवस्था को देख सके ताकि सब पहले जैसा हो जाये और चूँकि मैं अब वृद्द हो चुका हूँ इसलिए और अधिक राज्य नहीं कर सकता।
इस पर सभी जानवरों ने इकठ्ठा होकर इस पर सहमति करने का विचार किया और वो इसके बाहर आ कर आपस में विचार करने लगे तो समस्या ये हो गयी कि सभी जानवर खुद को राजा बनने के योग्य मान रहे थे तो इस पर सभी के अपने अपने मतभेद भी थे इस पर काफी देर बाद भी जब सहमति नहीं बन पाई तो चंदू खरगोश ने एक सुझाव दिया कि सभी जानवरों को उनकी क्षमता के अनुसार काम दिया जायेगा और दस दिन बाद फिर यंही पर एक सभा होगी और जानवरों द्वारा किये जाने वाले काम की समीक्षा की जाएगी जिसने सबसे अधिक काम किया होगा वही राजा बनने के योग्य होगा सभी जानवरों को उनकी जिम्मेदारी दे दी गयी और मोटू हाथी को जिम्मेदारी मिली वो थी बड़े बड़े पत्थरों को गड्ढे में डालना।
दस दिन बड़ी आसानी से बीत गये सभी जानवर इकठा हुए तो देखा कि मोटू हाथी को छोड़कर सभी लोगो ने अपना अपना काम कर दिया है तो वो लोग फिर दुविधा में हो गये ऐसे में पक्षिराज गरुड़ ने मतदान करने की सलाह दी तो सब इसके लिए राजी हो गये। मतदान हुआ तो देखते है कि सबसे अधिक वोट जिसके पक्ष में पड़े है वो है मोटू हाथी सबको बड़ी हैरानी हुए तो एक चिड़िया ने आकर सबकी उलझन दूर की ।
चिड़िया ने कहा कि मोटू हाथी ने इसलिए गड्ढे में पत्थर नहीं डाले क्योंकि गड्डे में ऊगे एक छोटे पेड़ पर मेने अंडे दिए हुए थे और मोटू ने अपने राजा बनने की परवाह नहीं करते हुए मेरे बच्चो के जीवन के बारे में अधिक सोचा इसलिए गरुड़ ने मतदान का सुझाव दिया क्योंकि जो अपनी नहीं सोचकर दूसरों के बारे में अधिक सोचता है वही राजा बनने के योग्य है ।
वंहा मौजूद सभी जानवरों ने ध्वनिमत से हाँ में हाँ मिलायी और मोटू हाथी को वंहा का राजा घोषित कर दिया इसके बाद चन्दन वन में फिर कभी अशांति नहीं हुई !!
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