यह बात सुनकर वह तोता भी तड़पा, फड़फड़ाया और मर गया । उस आदमी ने बुझे मन से तोते को पिंजरे से बाहर निकाला और उसका दाह-संस्कार करने के लिए ले जाने लगा, जैसे ही उस आदमी का ध्यान थोड़ा भंग हुआ, वह तोता तुरंत उड़ गया और जाते जाते उसने अपने मालिक को बताया – मेरे गुरु-तोते ने मुझे संदेश भेजा था कि अगर आजादी चाहते हो तो पहले मरना सीखो . . . . . . . . बस आज का यही सन्देश कि अगर वास्तव में आज़ादी की हवा में साँस लेना चाहते हो तो उसके लिए निर्भय होकर मरना सीख लो . . . क्योकि साहस की कमी ही हमें झूठे और आभासी लोकतंत्र के पिंजरे में कैद कर के रखती है ।
आज़ादी मुफ्त में नहीं मिलती इसके लिए क़ुरबानी देनी होती है। “वही कौम तरक्की करती है जिसमें क़ुरबानी देने वाले होते हैं क़ुरबानी दो आगे बढ़ो” क़ुरबानी तो देनी ही पड़ेगी अपनी इच्छा से दोगे तो कौम का भला नहीं तो दमन कर के जबरदस्ती तो ले ही ली जाती है । क़ुरबानी का मतलब केवल मरना मारना नहीं है बहुत से चीजें है जैसे अपना समय, धन, उर्जा, विचारों का फैलाव, अच्छी नीति बनाना और उसे चलाना,दुनिया की चका चौंध का मोह छोड़कर पढाई करना और जबरदस्त कामयाबी हासिल करना,धर्म प्रचार करना,धर्म और महापुरुषो की किताबें खरीद कर बाँटना,उसे अपने जीवन में अपनाना भी शामिल है !
क़ुरबानी करनी से ही,त्याग की भावना से ही हमे सच्ची आजादी मिल सकती है और वो हम और आप को जानना है कि कौन सी चीज़ ने हमे बांध रखा है ! क्योंकि ये हमे ही पता करना है कि गुलामी और मानसिक कैद की भावना हमारे अंदर किस कारणों से है और किससे हमे आजादी चाहिये !!
जयहिन्द
वन्देमातरम्
जयश्रीराम
वन्देमातरम्
जयश्रीराम
Post a Comment