एक बार शेर और गीदड़ में शर्त लगी कि जो दौड़ कर पहले पहुचेगा वो सत्ता के सिंहासन पर बैठकर राज़ करेगा.
दौड़ शुरु हुई..
शेर खुश था..
उसने सोचा वो तो तेज़ दौड़ता है,
गीदड़ को तो यूं ही हरा देगा.
शेर खुश था..
उसने सोचा वो तो तेज़ दौड़ता है,
गीदड़ को तो यूं ही हरा देगा.
पर उसे क्या मालूम था कि हर एक जंगल में पर बहुत से हैं ओर वो उसे आगे जाने ही नही देगे.!!
हुआ भी ऐसा ही..
हर क्षेत्र पर स्थानीय शेरो ने उस पर जानलेवा हमला किया,
वो बहुत से शेरो से लड़ता हुआ जैसे तैसे पहुंच गया।
हुआ भी ऐसा ही..
हर क्षेत्र पर स्थानीय शेरो ने उस पर जानलेवा हमला किया,
वो बहुत से शेरो से लड़ता हुआ जैसे तैसे पहुंच गया।
लेकिन वहाँ जाकर देखा कि गीदड़ सत्ता के सिंहासन पर बैठकर राज़ कर रहा है..
हताश घायल शेर बोला,
काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लड़े न होते तो..
ये गीदड़ इस सिंहासन तक कभी नही पहुंच पाता.
काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लड़े न होते तो..
ये गीदड़ इस सिंहासन तक कभी नही पहुंच पाता.
जरा सोचिए गलती कहाँ हो रही है,क्यों मनुष्य आज आपस में ही लड़ रहे है, कभी जातिवाद से तो कभी धर्म के आडम्बर पर,कभी ईर्ष्या,लोभ,काम, क्रोध की वजह से !!
या तो पढ़ कर मेरी तरह गम्भीर होइए या कॉपी पेस्ट या शेयर मार के मानवता बढ़ाइये
जयश्रीराम
वन्देमातरम्
जयश्रीराम
वन्देमातरम्
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