जयश्रीराम मित्रो
कुछ दिनो पहले किसी कारण से एक समस्या को सुलझाने हेतु दिल्ली का भ्रमण करना पड़ा और रास्ते में इंडिया गेट घूमने का मन किया तो सोचा घूम लू ! घूमने के दौरान इंडिया गेट पर अच्छा-खासा जमावड़ा देखने को मिला क्योंकि रविवार भी था ! रेलगाड़ी की तरह स्कूल के बच्चे एक दूसरे के पीठ पर हाथ रखकर वहां भ्रमण कर रहे थे !
अच्छी धुप के साथ सब वहां का लुत्फ़ उठा रहे थे और वही कुछ लोग सिपाही के साथ फोटो खिचवाकर उसकी बेबसी का आनन्द ले रहे थे ! सिपाही के लिये तो ये गर्व की बात है पर इस तरह से फोटो खिंचवाया जा रहा था वो अपने आप में हैरान करने वाला था ! लोग उसकी तरफ झुक कर फ़ोटो खिंचवा रहे थे और वो अपने कर्तव्यों के अनुसार वहां खड़ा होकर अपना कर्तव्य निभा रहा था ! उसकी बेबसी का अंदाजा उस सिपाही के शक्ल से लगाया जा सकता था ! खैर इसके बाद वहां स्वच्छता अभियान के स्लोगन नजर भी आये और
दूसरी तरफ युवाओ और पर्यटक द्वारा स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाना भी वहां बखूभी देखा जा सकता था ! ऐसा नही है कि कूड़ेदान की वहां कमी थी पर कमी जिसकी थी वो है बुद्धि कि, जागरूकता कि जिसके कारण लोग वहां आराम से कूड़ा फैला रहे थे ! बिना कोई डर और शर्म के !!
कुछ दिनो पहले किसी कारण से एक समस्या को सुलझाने हेतु दिल्ली का भ्रमण करना पड़ा और रास्ते में इंडिया गेट घूमने का मन किया तो सोचा घूम लू ! घूमने के दौरान इंडिया गेट पर अच्छा-खासा जमावड़ा देखने को मिला क्योंकि रविवार भी था ! रेलगाड़ी की तरह स्कूल के बच्चे एक दूसरे के पीठ पर हाथ रखकर वहां भ्रमण कर रहे थे !
अच्छी धुप के साथ सब वहां का लुत्फ़ उठा रहे थे और वही कुछ लोग सिपाही के साथ फोटो खिचवाकर उसकी बेबसी का आनन्द ले रहे थे ! सिपाही के लिये तो ये गर्व की बात है पर इस तरह से फोटो खिंचवाया जा रहा था वो अपने आप में हैरान करने वाला था ! लोग उसकी तरफ झुक कर फ़ोटो खिंचवा रहे थे और वो अपने कर्तव्यों के अनुसार वहां खड़ा होकर अपना कर्तव्य निभा रहा था ! उसकी बेबसी का अंदाजा उस सिपाही के शक्ल से लगाया जा सकता था ! खैर इसके बाद वहां स्वच्छता अभियान के स्लोगन नजर भी आये और
दूसरी तरफ युवाओ और पर्यटक द्वारा स्वच्छता अभियान को ठेंगा दिखाना भी वहां बखूभी देखा जा सकता था ! ऐसा नही है कि कूड़ेदान की वहां कमी थी पर कमी जिसकी थी वो है बुद्धि कि, जागरूकता कि जिसके कारण लोग वहां आराम से कूड़ा फैला रहे थे ! बिना कोई डर और शर्म के !!
लेकिन इस व्यवस्था से परेशान और गन्दगी को दूर करने के लिये एक बुजुर्ग व्यक्ति ई-रिक्शाव से स्वच्छता अभियान के लिये प्रचार-प्रसार करते हुये दिखे ! अपनी ई-रिक्शाव के हैंडल में उन्होंने एक कूड़ेदान बनायी हुयी थैली लटका रही थी ताकि कोई भी पर्यटक रास्ते पर य कूड़ेदान से हटकर कचरा डाले तो उनके कचरे को वो उठाकर अपने थैली में भर दे और फिर उसे वे कूड़ेदान में डाल देते ! जब ऐसा कहते हुये मैंने इनको सुना तो बड़ा प्रभावित हुआ पहले तो सिर्फ वो अपने बारे में बता रहे थे पर जब मैं आगे गया तो उनको प्रत्यक्ष रूप से कचरा उठाते हुए देखा !! इससे मेरा ह्रदय ग्लानि से भर गया और उनके बारे में पूछने की और उनका नाम जानने की काफी जिज्ञासा हुयी ! नाम पूछने पर उन्होंने अपना नाम सतीश कपूर बताया और ऐसा
करने का कारण उन्होंने ये बताया कि अब मेरे पास जीवन के कुछ पल बचे है जिसे मैं समाज को देना चाहता हूँ और उसी दिशा में प्रयासरत हूँ ! यदि मेरे द्वारा कूड़ा उठाने से पर्यटकों को शर्म आती है और वो गन्दगी इधर-उधर फेंकने से बचते है तो इसमें बुराई क्या है ?? उन्होंने बताया कि काफी हद तक तो लोगो में जागरूकता आयी है ! पर अभी जब तक लोग जाग नही जाते ये कूड़ा उठाता रहूंगा !!
करने का कारण उन्होंने ये बताया कि अब मेरे पास जीवन के कुछ पल बचे है जिसे मैं समाज को देना चाहता हूँ और उसी दिशा में प्रयासरत हूँ ! यदि मेरे द्वारा कूड़ा उठाने से पर्यटकों को शर्म आती है और वो गन्दगी इधर-उधर फेंकने से बचते है तो इसमें बुराई क्या है ?? उन्होंने बताया कि काफी हद तक तो लोगो में जागरूकता आयी है ! पर अभी जब तक लोग जाग नही जाते ये कूड़ा उठाता रहूंगा !!
इसको सुनकर ही इस प्रेरणादायक प्रयासों को आप सबके साथ साझा करने का मन हुआ !
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