अजय बहुत ही बड़ा भोजन प्रेमी था ! एक हाथ से एक बार में वो दो पुड़िया लपेट कर खाता था !! क्योंकि वजन और स्वास्थ्य उसका अच्छा खासा था तो वो हर डिश को बहुत अच्छे से खा पाने में सक्षम था और मै बस तंदूरी रोटी खाते हुए उसे हंसते हुए देख रहा था कि वाकई बहुत सारा भोजन वो बचा भी रहा है और पचा भी रहा है !! शादी में वैसे निशुल्क में भोजन करने वाले आमंत्रित होते ही है पर ये पहली बार था कि किसीने उसके खाने पर गौर किया और उससे ये पूछ लिया कि किसकी शादी में आये हो ? किसने इनवाईट किया है ?? ये देखकर मै घबरा गया और मन में डरकर भागने का एक विचार घर कर रहा था पर भालू वाली कहानी ने मुझे हिम्मत दी जिसमे एक दोस्त डरकर पेड़ पर चढ़ जाता है ! मै डरपोक मित्र का पात्र न बन जाऊं इसका डर ज्यादा हावी था मुझपर सो जल्द ही इधर उधर नजर दौड़ाई तो कुछ परिचित मिल गये और मैं उनके साथ अंकल को नमस्ते किया और बताया कि हम सब दोस्त है अंकल जी !! ये सुनते ही अंकल को अपने प्रश्नों पर बड़ी ही ग्लानि हुयी !! पर अंकल ने पूछ ही लिया कि बेटा बैग रखकर अच्छे से आते !! शादी तो रात भर है इतनी भी क्या जल्दी थी !! वो बस अनजाने लोग आकर खाना बर्बाद कर देते है इसीलिए ये सब सवाल किया !! बेटा बुरा मत मानना कहकर अंकल चले गये और हमें फिर शर्म के मारे एक कोर और नही खाया गया पर हम और एक घंटे घुमे ये दिखाने के लिए कि आपने हमे भी इनवाईट किया है !!
शिक्षा - शादी में निमंत्रण न दिया गया हो तो नही ही जाना चाहिए नही तो शर्मिंदगी और अपमान दोनों झेलना पड़ सकता है !
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